ش | ی | د | س | چ | پ | ج |
1 | ||||||
2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 |
9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 |
16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 |
23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29 |
30 | 31 |
نشانه ی دل های بی قرار
چشمانیست در انتظار یار
می بینی؟ در دل شهر شب
فقط چشمان ماست بیدار!
فرشته سنگیان
شعر,
فرا می خواندم
به معبدی مقدس
تا
از هاله ی واژه ها
نوری برگیرم
فرشته سنگیان
شبها
هراسِ نادیدنت،
رهزنِ
خوابِ
منست!
و
روزها
دیدگانِ منتظرم
چشم به راهِ
جلوه یِ نابِ تو است!
فرشته سنگیان