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آسمان شکافته شد و تو باریدی،
بر روحِ این خاکِ مرده،
زندگی آفریدی.
آسمان شکفت و خورشید،
با ماه یکی شد.
همدل شد وجودِ هر آنچه بود،
میان مرزِ اندوه و شفق...
زاده شد نگاهت،
در نگارههای بیشهی امید...
کور شد، داروغهی ستم.
گرفت دستانِ آسمان،
طفلِ گدای غم.
آغوش کشید مادر،
وجودش بیطلب...
بیطلب.
عسل عربگری