ش | ی | د | س | چ | پ | ج |
1 | ||||||
2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 |
9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 |
16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 |
23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29 |
30 | 31 |
به این روزهایِ منحوسِ یأس
میان خزانِ امروزِ وُ زوالِ فردا
که کم کم یافت نشود به کلبهٔ تو
جرعهٔ چایِ تلخی هم برای نوشیدن
نگران باش که فردا در کشتزارت
دیگر نباشد حتی مشتی کاه برایِ بادها
علیزمان خانمحمدی