| ش | ی | د | س | چ | پ | ج |
| 1 | 2 | 3 | 4 | 5 | ||
| 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 |
| 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 |
| 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 |
| 27 | 28 | 29 | 30 |
در حضورِ تو،
زمان واژهاش را
فرو ریخت.
دلم موجیست
در نگاهِ تو،
جهان در پرواز.
نسیم گیسویت
عطر یاسِ نهفته
در نبض شب .
تو لب می گشایی،
جهان عاشق میشود،
شکوفه در باغ می نشیند .
نگاهت شعلهایست،
در نیستاکِ وجود.
نفسهایت ارتعاشیست
هستی ساز.
تو آوای عشق،
در لابهلای سکوتِ حضور.
بمان،
نقطهی صفرِ آغوش.
شیوا فدائی